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गुरुवार, 5 जुलाई 2018

# विश्वास

जब घटाओं के आगोश में आकाश हो ।
मनअकेला तन्हा कोई नआस-पास हो ।
तुमको निर्भय होकर बढ़ना है निरन्तर -
नव सृजन के लिए मन में पूर्णविश्वास हो ।
            लगता है इन घटाओं से कुछ बारिश हो जाय।
            सूखी डाल को फिर कोई वारिस मिल जाय।
            अनगिनत कोपलें फूटें फूलों से चमन महके ।
            हवावों से कह दो अधूरी न ख्वाहिश रह जाय।

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