यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 21 जुलाई 2018

पर्यावरण (54)


 
क्षीण होआवरण तो जनअसहज होता।
मनआवरण की मलिनता को देख रोता।
हर रोज सुन्दर आवरण की चाह लेकर,
मन स्वस्थ रहने को स्वप्न नया देख लेता।
आवरण की हो सुरक्षा रहे सुन्दरता भी। 
सुरक्षाअभियान है दिवस पर्यावरण की।
एक आवरण ही तो है हमारा पर्यावरण ,
जो सुरक्षा कर रही है हर प्राणियों की।

प्रकृति के उपहारों से सुसज्जित है धरा,
देखने की लालसा है इसे सदा हरा-भरा।
चाहते हैं परिपक्वता जन आचरण की।
हो हमारे सामने अचल हिमाल सा खड़ा।
आचरण ही धम्म है ये बात मेरे राष्ट् की।
सुरक्षा अभियान ये दिवस पर्यावरण की।
संकल्प लें अब कभी कोई वृक्ष न काटे,
करेंगे सुरक्षा हम हर एकअभ्यारण्य की।

यहाॅ लोगों ने प्रकृति पर बड़े जुर्म ढ़ाये हैं।
खूब दोहन कर उन्होंनेअपनेघर सजाये हैं।
मौजमस्ती में प्लास्टिक काअक्षय कचडा,
फैलाकर यूँ  बरबादियों के दिन गिनाये हैं।
हमें ही रोकना होगा संकट आपदाओं की।
सुरक्षा अभियान यह दिवस पर्यावरण की।
विश्व पर्यावरण दिवस पर मंगलकामनाऐं। प्रकृति प्रेम होऔर हो संवाद संरक्षण की।



          

कोई टिप्पणी नहीं:

कांटों से डरो नहीं

फूलों का गर शौक हैतो  काटों से डर कैसा। इरादा मजबूत हैतो  ख्याल ये मुकद्दर कैसा। कभी धूप कभी छांव रहा करती जिन्दगी में, साथ न हो हमसफ़र का त...