""""होलीआई """
होली को!रंगों का त्योहार रहने दो। सबसे प्रेम मधुर व्यवहार रहने दो।
जीवन के बदलते परिवेश में आज,
समय का सत्य स्वीकार करने दो।
ये होली बसन्त की मधुर उमंग है।
स्नेहिल भावों से भरा अन्तरंग है।
परिवर्तन प्रकृति की शाश्वत धारा-,
सद्भावनाओं से भरा अंग अंग है।
यहां न राग द्वेष की कोई कथा है ।
और जाति धर्म की बात मिथ्या है।
संकीर्ण सोच से भरी बदनियती की,
कुत्सित परम्परा की एक व्यथा है।
मिल कर ज्ञान को विज्ञान बना दो।
सम्मान से नारी का जीवन सजा दो।
जीर्ण क्षीर्ण परम्पराओं को मिटाकर,
भारत महान और प्रबुद्ध बना दो।
फिर होलिका बहन का दहन न हो।
शोषित जन का कोई दमन न हो।
सदा स्वस्थ सबल रहे राष्ट्र हमारा,
सुखशांति से हर जन गण मन हो ।
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