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शनिवार, 7 मार्च 2020

#महिला दिवस(@)



नारी ने यह श्रृष्टि रची है।
      नारी से यह श्रृष्टि बची है।
          धरती सिंचित करती नारी।
             फिरभी हक से वंचित नारी।
पवित्र धरोहर है समाज की।
        नारीअसुरक्षित है आज भी।
            यदि सशक्त नहीं होगी नारी।
                तब कहलायेगी वह बेचारी।
नारी आज संकल्पित होकर,
        बढे सशक्तिकरण को लेकर।
           जाग उठे अब नारी संसय से,
               चढे शिखर वोआज विजय के।  
हक के हों हर पथ उजले।
   नारी समय की पहचान बने।
         इस धरती सेअंधकार मिटे।
             नारी शोषण अत्याचार मिटे।
                
              जाग उठे नारी संसय से,
                 चढ़े शिखर वह विजय के।
                  संघर्षों में चरण धरेअभय के,
                  पहिचान बने वोआज समय के। 


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