कि वतन मेंअमन रहने दें।
इन रंगों को बदरंग न करके,
इसे खुशहाल चमन रहने दें।
हमारी मानसिक विकृतियां,
खंडित करती हैं धर्म जातियां।
गुलामी की जंजीरों से जकड़े,
गुजारे हैं हमने बहुत शदियां।
अब तो हो लीआकत हम में,
सब मिलकर एक हो जाऐं।
सम्यकता से उजले राहों पर,
चलकर विश्व गुरु बन जाऐं।
ऐसी हो लीआकत हम में,
हर मन आनंद में रम जाये।
दिलों से नफ़रत मिटा करके,
दिलों की दूरियां कम हो जाये।
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