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गुरुवार, 20 फ़रवरी 2020

#आरक्षण***स


बहस बहुत होतीआरक्षण पर,समाधान नहीं कर पाते हैं।
जातिवादी मानसिकता के कारणआपस में लड़ जाते हैं।
क्यों नहीं मिटी यहअस्पृश्यता,यही सवाल आज खड़ा है।
क्या सोचा कभी किसीने ?अस्पृश्यता ने क्यों जकड़ा है।

यह जाति व्यवस्था थोपी ,किसने वर्णव्यवस्था कहकर। 
दास बनाये हैं मूलनिवासी,पत्थरों की प्राण प्रतिष्ठा कर।
परिवर्तन नियम प्रकृति का,विकास उसी का जो बदला।
शाश्वत नियमों को जाना जिसने,अन्याय उसी ने कुचला।

शाश्वत सत्य को जाना बुद्ध ने,भारत को प्रबुद्ध बनाया ।
मानवता की पूजा करके ,विश्व शान्ति का पाठ पढाया।
इसी भाव से भीमराव ने  गणतंत्रात्मक संविधान बनाया।
बहुजनों को प्रतिनिधित्व मिले,आरक्षण प्रावधान बनाया।

थी अस्पृश्यता दूर करने की ,संविधान में वचन बद्धता।
आजादी के अन्तराल तक,मिटी नहीं हैअभीअसमानता।
नहीं खोजा निदानअभी तक,फिर विरोध के स्वर क्यों हैं। 
संविधान को पढ़े बिना ही,आरक्षण हटाने मुखर क्यों हैं।

तन मन धन से यहाॅ सभी ने,इसआजादी की लड़ी लड़ाई ।
सबको सम्मान मिले देश में,है यही श्रेष्ठ और यही भलाई ।
मिटे कुत्सित वर्णव्यवस्था,येआरक्षण का यही निदान है।
प्रबुद्ध राष्ट्र हो अपना भारत, यही भारत का संविधान है।












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