सब्र कर कुछ देर को मुरली हटा ले।
देखके बंसी मेरे सीने में आग जलती,
तेरे प्यार में पागल हूँ ये प्यास मिटादे।
कृष्ण तुम नटखट तुम्हारा प्रेम छल है,
मुझसे अधिक बांसुरी में प्रेम प्रबल है।
मैं तुमको पूर्ण सर्वस्व अपना दे चुकी ,
और तेरे बिना बेचैन मेरा हरेक पल है।
बाँसुरी को छोड़कर मुझेआगोश में भर,
जाम अधरों से पिला मुझे मदहोश कर।
मैं तुझमें समा जाऊं तू मुझमें समा जा,
देखती रहूँ सदा तेरी तस्वीर मुरलीधर।
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