शब्दों से निखरा करती है।
जितना उसे करो अलंकृत,
मनमें उतना उतरा करती है।
कवि की कल्पना कविता है,
पर औरों को भा जाती है।
जितना प्यार करो कविता से,
उतना मन पर छा जाती है।
कविता कवि की सांसें हैं,
जब ठोकर लगती बढती हैं।
तुम छू कर तो देखो उनको,
वो कितनी तेज धड़कती हैं।
कवि बन जाओ तुम भी अब,
डूबो तुम कविता के सागर में।
चुन चुन कर मणियां ले आना,
खुश होकर मन के गागर में।
बैठो जब तुम कविता लिखने,
क्या लिखना है सोचा करना।
मालिक के प्रशंसक ही हैं सब,
तुम श्रमिक दंश उकेरा करना।
केवल प्रशंसा में गीत लिखोगे,
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