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बुधवार, 3 जून 2020

यूं शिल्पकार.......(4)..

पहाड़क पहरू बड़ सिदछैं यूँ शिल्पकार ।

अपण ढ़ुगोंकि थात पारि औंगाव किटनी ।
बड़ कृषाण गात लगै औरौं पीड़ उकेरिनी। 
गोरु बकर भैंसौंक टहल कै दूध दै बहार। 
पहाड़क पहरू बड़ सिदछैं यूँ शिल्पकार ।

जबअसोज कातीक कामक चुट पड़नी।
कहण महण टिपि गुठ्यारम भट्ट चुटनी।
मडू झुंगर  मानि लोगौंक भरनी  भकार,
पहाड़क पहरू बड़ सिदछैं यूँ शिल्पकार।

हौव दन्याव दातुल कुटव सब इनुल बनाइ।
हमर थान घर कुड़िबाड़ि छान इनुल लगाइ।
लोगोंकैं भितेर बैठै आफू रहय देहे  भ्यार।
पहाड़क पहरू बड़ सिदछैं यूँ शिल्पकार।

हमैरि पहाड़क संस्कृति सब छा इनरै लिबै।
हम ज्यौन जागत छोंआज तक इनरै लिबै।
हैं रंगत जब हनी खेल कौतीक बार त्योहर।
पहाड़क पहरू छैं बड़ सिदछैं यूँ शिल्पकार ।

जग न जमीन यूँ भूमि हीन पर भूमी पुजनी,
हर बार चुनाव में यूँ नेता इनुकैंणी खोजनी।
इनर बोटों पारि उनरि बनि  जैं एक सरकार, 
पहाड़क पहरू छैं बड़ सिद यूँ  शिल्पकार ।

आज ठुल छ्वट नेता इनर हिसाब लगानी।
वोट मांग हैंणि आनी इनर खुट पड़ जानी।
चुनाव जित बै सबोंक बदलि जां व्यवहार।
पहाड़क पहरू बड़ सिद छैं यूँ शिल्पकार।

सिद साद हमर यूॅ  शिल्पी सब भूलि जानी।
हिटन हिटनैं धारम बैआफी मूण घुरी जानी।
आमक चुसी हड़्यल जस खेती छैं यूँ भ्यार।
पहाड़क पहरू बड़ सिद छै यूँ  शिल्पकार ।
"""""""""""""""@स्नेही"""""""""""""""









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