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शुक्रवार, 12 जून 2020

दोहावली***स

जैभीमअभिवादन से,जलते हैं जो लोग।
अक्षर उनसे ही बढ़े, छुआछूत का  रोग।
जो कहता पोथी पढ़ो, बनो हमारे  भक्त।
समझो ऐसे जौंक को,जो पी जाते रक्त ।

पोथी में भगवान के, चमत्कार के मंत्र। 
चाटे दीमक की तरह, वो प्रजा के तंत्र।
बामन की पोथी पढ़े,होये भक्त गुलाम।
करे प्रभु के नाम पर,वे ठगने का काम। 

मूलनिवासी जो पढ़े,बाबा का संविधान।
समतामूल समाज की,करते वे निरमान। 
पत्थर को भगवान का,मूरत समझे कोय।
समझो पत्थर की तरह,वो भी निष्ठुर होय।

चेले हैं जो भीम के,  नहीं मानते  हार।
धम्म चक्र प्रवर्तन को, रहते हैं  तैयार ।
वंचित के घर जाइए,सुनिए उनके हाल।
कोरोना लेकर गया,सारा उनका माल।

कोरोना के रोग से,घबराऐ नहिं कोय।
दो गज दूरी राखिये,साबुन से कर धोय।
मन में रखते मैल को,तन को करते शुद्ध।
वे मन अब कैसे बने,इस जीवन में बुद्ध ।

बुद्ध शरण में जो गये,पाये ज्ञान अपार। 
मानवता की रक्षा में, रहते  हैं  तैयार ।

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