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गुरुवार, 13 दिसंबर 2018

# मुल मुल हंसनै रया (28)

मिठ-मिठ, भौल बुलानें रया।
खितखित,मुलमुल  हंसनै रया।
            खुटों तुमर कभैं कन झन बुड़ौ।
            मूण कभैं क्वे आँस झन पड़ौ।
             सगुन आंखर तुम लेखनैं रया।
             खित खित,मुल मुल हंसनैं रया।
             नौंसाल तुमुहैंण दैंण है जाऔ।
              दूधभात खूब  खैहण है जाऔ।
              अणी जणियां क्वे भूख न रहौ।
              नाजैल भकार तुमरभरीयै रहौ।
अपण -पराय सब देखनैं रया।
खित खित,मुलमुल हंसनैं रया ।
             घर-बौंण डव बोटि हरिया रहैं।
             खल्यत रुपयोंल तुमरभरियै रहैं।
             बट-घट,व्यापारम  बरकत  रहौ।
             धिनाईल ठेकि-डौकौ भरियै रहौ।
दिन-रात भल स्वींण देखनै रया।
खित खित,मुल मुल हंसनै रया।
             तुमूपरि कभैं कैक दोष न लागौ।
             रौल गध्यरोंक छौव कभैं न जागौ।
             खुशि देखिक चौड़ चाकौ है जया।
             सबोंकैं उज्याव तुम दिखानैं रया।
द्यप्तोंक थानम,तुम द्यू बावनै रया।
खित -खित,मुल- मुल हंसनैं रया।
            नौं साल पारि, तुम नौं गीत गाया।
             परदेश जाई छैं,उनुकैं घर बुलाया।
            अपण मुलुक कैं,छोड़ि झन जया।
             ननों कैं रोजगार,तुम एती दिलाया।
फूलदेई घी त्यौहार, एती मनाया।
खित-खित,मुल- मुल  हंसनैं रया।
           बीती बातों कैं अब भूलि जाणौ।
           बखत कैं नौं उज्याव दिखाणौ।
           खेती-बाड़ीक नई नीति बनाणौ।
           भरपूर फसल फल फूल उगाणौ।
नौं साल पारि सब नौं गीत गाया ।
खित-खित,मुल-मुल  हंसनैं रया।
 

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