शाश्वत सत्य है यह महापरिनिर्वाण।
तुम्हें सादर श्रद्धांजलि! हे अमर प्राण।
तुमअमर शब्द बीजअंकुरित हो।
हर हृदय पटल पर पुष्पित हो ।
उत्साह उमंग से हो ओतप्रोत,
धम्म चक्र प्रवर्तन परिलक्षित हो।
तुम नव युग के नव निर्माण कर्ता।
तुम हो त्रिशरण शील ज्ञान प्रदाता।
तुम्हें सादर श्रद्धांजलि! हे अमर प्राण।
तुम्हें सादर श्रद्धांजलि! हे अमर प्राण।
शाश्वत सत्य है यह महापरिनिर्वाण ।
तुम स्वतंत्रता के थे पथ प्रदर्शक।
तुम स्वाभिमान के महाआकर्षक।
परतंत्रता का वह दुष्चक्र तोड़ने,
तुम संघर्षशील अभय पथ दर्शक।
भारत संविधान के तुम निर्माता।
अर्थशास्त्री थे तुम विधि ज्ञाता।
तुम्हें सादर श्रद्धांजलि! हे अमर प्राण ।
शाश्वत सत्य है यह महापरिनिर्वाण ।
छः दिसम्बर सन् उन्नीस सौ छप्पन।
जब क्रांति वीर की रुक गई धड़कन।
जन गण मन का हृदय संतप्त हुआ,
बुझ गया दीप वह मसीहा अमन।
दे गया जो वंचितों को अभय मूल मंत्र।
समता मय बन्धुत्व से सींचो प्रजातंत्र ।
शाश्वत सत्य है यह महापरिनिर्वाण ।
सादर श्रद्धांजलि! हे अमर प्राण ।
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