यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 20 मार्च 2021

दर्दे एहशास ***स




तुम्हें देखा एक जमाना याद आया।
भूला हुआ वह खजाना यादआया।
तलाशने लगा मैं उन लम्हों को जब,  
उनमें तुम्हारा मुस्कुराना याद आया।

यूं दुख तो बिछुड़ने का बहुत होता है।
ये मन भी कभी हंसता कभी रोता है।
बहुत से लोग मिलते हैं सफर में यूँ ही,
दर्दे एहशास कुछों का खास होता है। 


कोई टिप्पणी नहीं:

कांटों से डरो नहीं

फूलों का गर शौक हैतो  काटों से डर कैसा। इरादा मजबूत हैतो  ख्याल ये मुकद्दर कैसा। कभी धूप कभी छांव रहा करती जिन्दगी में, साथ न हो हमसफ़र का त...