यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 16 मार्च 2021

फूल देई छम्मा देई ***(3)


फूल देई छम्मा देई,य भुकि चाटि अम्मा लेई ।
फूल फूल त्यर भनार,भरी रौ सबोंक भकार। 
दैंण रहौ सबौंक द्वार,फूल देईक छा त्योहार।
हाथम गुड़कि डई धरी,यूं फूलों टुपरि पकड़ी।
दूध भात खूब खया तुम मुलमुल हंसनें रैया।
सारिपन दौड़ लगाइ फूल पिहूली टिपि ल्याइ।

कोई टिप्पणी नहीं:

कांटों से डरो नहीं

फूलों का गर शौक हैतो  काटों से डर कैसा। इरादा मजबूत हैतो  ख्याल ये मुकद्दर कैसा। कभी धूप कभी छांव रहा करती जिन्दगी में, साथ न हो हमसफ़र का त...