यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 22 अक्तूबर 2019

#नया सफर ***(41)

चुन लिया जो पथ मैंने,
उस पर चलना अच्छा है।
बार-बार गिरने से तो, 
उठकर संभलनाअच्छा है।
जहां की परवाह नहीं ,
कौन अच्छा बुरा कहता है। 
सच्ची बात तो बस यही,
सुपथ पे चलना अच्छा है । 

बुद्ध वही नित शुद्ध वही 
शान्ति का आधार रहा है।
मानवता पल्लवित होती 
मन भावन संसार रहा है।
यहां ऊंच नहीं कोई नीच, 
हर एक मन बराबर है ।
त्रिशरण शील प्रज्ञा का 
पथ सबको स्वीकार रहा है। 

मुक्ति का बोध हो जाय 
जिससे वह पथ अच्छा है ।
मुश्किलों में भी जो साथ दे,
अपना वो मित्र सच्चा है।
रूढ़िवादी बन करके यहां,
 नफ़रत बढाना ठीक नहीं ,  
अंधभक्ति संलिप्त दूरकर ,
खुद का बदलनाअच्छा है।



कोई टिप्पणी नहीं:

कांटों से डरो नहीं

फूलों का गर शौक हैतो  काटों से डर कैसा। इरादा मजबूत हैतो  ख्याल ये मुकद्दर कैसा। कभी धूप कभी छांव रहा करती जिन्दगी में, साथ न हो हमसफ़र का त...