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शुक्रवार, 29 मार्च 2019

#चुनावी गपशप

"लोकसभा आम चुनाव 2019की घोषणा, नामांकन नाम वापसी की सारीऔपचारिकताओं के बाद अब चुनावी शोर सराबा जोरों पर है ।
कौन जीतेगा ?कौन हारेगा? ये तो अभी भविष्य के गर्भ में है ।फिर भी वोटों का गुणा भाग करने वाले गणितज्ञ अपना हिसाब किताब लगा रहे हैं।गलियों मुहल्लों चौराहों व चौपालों पर चुनावी गपशप जारी है ।अपनी-अपनी पार्टी के वफादार चौकीदार अथवा कार्यकर्ता सतर्क व जुनून से ओतप्रोत हैं ।कभी कभी बातों बातों में आपसी द्वन्द्व भी हो जाते हैं।"स्वयं सम्मान के लिए अपेक्षा करते हैं तो औरों को भी सम्मान देना आवश्यक है "।2009 केआम चुनाव के जो नेता जीते, अगले 2014लोकसभा चुनाव में पाला बदलते नजर आए।पार्टी बदलना आज एक फैशन सा हो गया ।भाषण देना आए या न आए पर प्रतिद्वंद्वी पर आक्षेप लगाना उस पर कीचड़ उछालना जो अधिक करे उसको भाषण का सिद्ध हस्त माना जाता है ।
              11 अप्रेल चुनाव के लिए मतदान की तिथि है।मुझे ये लोकसभा चुनाव विगत वर्षों से भिन्न नजर आ रहा है।अपने दोस्तों, नौजवानों ,महिलाओं, बुजुर्गों से बातचीत कर इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि इसबार लोगों में उत्साह नहीं है ।
                 "एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं सब"कई लोगों ने ऐसा कहा।
कई नेतागणों की आपसी निकट या करीबी रिश्तेदारी भी है।पार्टी भले ही भिन्न-भिन्न हों।काम तो रिश्ते दारों के होंगे ही भले ही किसी कार्यकर्ता को असहज महसूस कराया जाए।
            मतदाता इस चुनाव में किसी भी नेता के बहकावे में नहीं आएगा।"शिल्पकार वर्ग ने कांग्रेस भाजपा को आइना दिखाने का फैसला लिया है "।आरक्षित क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले नेताओं के खिलाफ भी यह वर्ग खड़ा दिखता है क्योंकि उन्होंने व्यक्तिगत के अतिरिक्त कुछ भी इस वर्ग के लिए नहीं किया जिसके लिए वे नैतिक जिम्मेदार थे।NOTAभी इस चुनाव में एक संभ्रांत वर्ग की पहचान होगी। आइए संकल्प लें कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए निर्भय हो कर किसी के बहकावे में न आकर अपने मत का प्रयोग करेंगे ।योग्य उम्मीदवार के अभाव में  "नोटा" का बटन दबाकर परिवर्तन के लिए सहभागी बनेंगे ।

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