शिल्पकारो ठाड़ उठो!अब सिणौंक बघत कां छा।
तुम बघत छा फिर किलै तुम बघत कैं भ्यार चांछा ।
फन्द परि येति फन्द पड़ी, भाग परि बदनाम जड़ी।
कब तक तुम बैठी रला,य हाथ परि एति हाथ धरी।
शिल्पकारो ठाड़ उठो! बघत पारी ।
बगि गो गध्यर सब तुमर,अब बगण क्य रै गो बाकी।
हाथ फैलै बेर कब तक, इसिक दूसरों कै रैला ताकी ।
तुम बघत छा तुम शकत छा, तुम छा जैअम्बेेेडकरी।
बघत कैं उज्याव दिखाओ, शिल्पकारो बघत पारी ।
शिल्पकारो ठाड़ उठो! बघत पारी ।
जात परि यां जात बनै,फिरआपसी भेदभाव रचै।
हमुल यूं जो यूं ढुंग तरासी, उनुल ऊं भगवान् वनै।
हाथ जोड़ि बै हम ठड़ी छों,वीं हैरैंई एति पुजारी।
बुद्ध त्रिशरण लिबै,उज्याव दिखाओ बघत पारी।
शिल्पकारो ठाड़ उठो! बघत पारी ।
बुद्ध शुद्ध धम्म छा,संविधान महा धम्म ग्रंथ छा।
समतामय बन्धुत्व जति न दास छा न सामंत छा।
शिल्पकारो ठाड़ उठो यस काम करो समय पारी।
समय कै उज्याव दिखाओ शिल्पकारो बघत पारी।
तुम बघत छा फिर किलै तुम बघत कैं भ्यार चांछा ।
फन्द परि येति फन्द पड़ी, भाग परि बदनाम जड़ी।
कब तक तुम बैठी रला,य हाथ परि एति हाथ धरी।
शिल्पकारो ठाड़ उठो! बघत पारी ।
बगि गो गध्यर सब तुमर,अब बगण क्य रै गो बाकी।
हाथ फैलै बेर कब तक, इसिक दूसरों कै रैला ताकी ।
तुम बघत छा तुम शकत छा, तुम छा जैअम्बेेेडकरी।
बघत कैं उज्याव दिखाओ, शिल्पकारो बघत पारी ।
शिल्पकारो ठाड़ उठो! बघत पारी ।
जात परि यां जात बनै,फिरआपसी भेदभाव रचै।
हमुल यूं जो यूं ढुंग तरासी, उनुल ऊं भगवान् वनै।
हाथ जोड़ि बै हम ठड़ी छों,वीं हैरैंई एति पुजारी।
बुद्ध त्रिशरण लिबै,उज्याव दिखाओ बघत पारी।
शिल्पकारो ठाड़ उठो! बघत पारी ।
बुद्ध शुद्ध धम्म छा,संविधान महा धम्म ग्रंथ छा।
समतामय बन्धुत्व जति न दास छा न सामंत छा।
शिल्पकारो ठाड़ उठो यस काम करो समय पारी।
समय कै उज्याव दिखाओ शिल्पकारो बघत पारी।
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